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___________ एक पेड़ की मैं छाव ___________ एक पेड़ की मैं छाव हूँ, उसके उपकारों का मैं बजूद हूँ, रातो में अक्स भी गिरते रहे, वो कह रहा है,यादो का सैलाब हूँ। मन्नतो का कोई हिसाब नही, नाम उसका हूँ इतना मैं आसान नही, मैं खुद एक स्वाभि मानी कि ढाल हूँ,, कोई राह का पेड़ नही। छाव मेरी मुक्त्त है, जड़े मेरी साथ है, कष्ठ है,धूप है,झमा-झम बारिश है , तभी सुगंधित फूलों का बास है। खुद मैं उम्मीद की एक आश है, खुद मैं एक जुनून है, हाथ फैलाने का कोई उद्देश्य नही, हम खुद सूर्य के एक बंश है। - अंकित जैन