_______________मेरी माँ की दुआ________________ मेरी माँ की दुआ क्या सदाबहार है। दुआ उसकी है या कोई भगवान है।। जब मुकम्मल नही,तो एक छूटी गजल है। वो कोई और नही,मेरी माँ एक कमल है।। वो मेरा नाराज होना फिर भी वो अनजान है। मेरी माँ का खुश होने की एक दांस्तान है।। वो मेरे रातो के ख्वाब का सच होंना,अकेला मेरा नही। वो एक माँ और बेटे के प्यार का अपना इजहार है।। ~अंकित जैन
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___________ एक पेड़ की मैं छाव ___________ एक पेड़ की मैं छाव हूँ, उसके उपकारों का मैं बजूद हूँ, रातो में अक्स भी गिरते रहे, वो कह रहा है,यादो का सैलाब हूँ। मन्नतो का कोई हिसाब नही, नाम उसका हूँ इतना मैं आसान नही, मैं खुद एक स्वाभि मानी कि ढाल हूँ,, कोई राह का पेड़ नही। छाव मेरी मुक्त्त है, जड़े मेरी साथ है, कष्ठ है,धूप है,झमा-झम बारिश है , तभी सुगंधित फूलों का बास है। खुद मैं उम्मीद की एक आश है, खुद मैं एक जुनून है, हाथ फैलाने का कोई उद्देश्य नही, हम खुद सूर्य के एक बंश है। - अंकित जैन
वो मेरी कहानी है,इंतजार कब तक करायेगी तू। ख्वाबो तक ही रहेगी,हकीकत भी हो पायेगी तू।। उम्र कुछ बची है,सूरज देखूँ इसकी कोई खबर नही। नज़्म लिखे है,आज नही तो कल क्या सुन पायेगी तू।। मेरे घर की खिड़कियाँ भी,तड़फ रही है। हो सके तो वो,शामों के पलो को दोहरायेगी तू।। घर का है वो दिया जो, अब बुझ-बुझ जाता है। उसे भी इंतजार है,अपने आँचल से छुपायेगी तू।। अब तो वो अल्फाज भी,कड़वे से लगते है। आरजू है अपने हाथो से प्यार का जाम पिलायेगी तू।। - अंकित जैन
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