_______________सफर_______________
"कुछ था नहीं इस सफर में,बस निकला था सफर में,
कुछ हबाओ का कुछ दुआओं के सहारे में,
अभी तक तो सही निकल रहा था इन नजारों में,
जब समोसा आया आंखो के इशारों में,
बस बो बात भी ऐसी हुई अल्फाजों में,
पेट भी भर गया इन नजारों में,
फिर किसी मलिका का आना इस सफर में,
मेल मिले जब दोनों के नयनों में,
कुछ हो तो रहा था इस सफर में,
कुछ अल्फाजों से कुछ जज्बातों में..!"
कुछ हबाओ का कुछ दुआओं के सहारे में,
अभी तक तो सही निकल रहा था इन नजारों में,
जब समोसा आया आंखो के इशारों में,
बस बो बात भी ऐसी हुई अल्फाजों में,
पेट भी भर गया इन नजारों में,
फिर किसी मलिका का आना इस सफर में,
मेल मिले जब दोनों के नयनों में,
कुछ हो तो रहा था इस सफर में,
कुछ अल्फाजों से कुछ जज्बातों में..!"
"अंकित जैन"
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