__________【हो सकता नही】__________
"अब पानी का बहाव रुक सकता नहीं,
यादों को तुम्हारी भुलाया जा सकता नहीं।
अब सूर्यास्त हो सकता नहीं,
जब तक मिला तुमसे जा सकता नहीं।
यादों को तुम्हारी भुलाया जा सकता नहीं।
अब सूर्यास्त हो सकता नहीं,
जब तक मिला तुमसे जा सकता नहीं।
कुछ बातो को नजरंदाज किया जा सकता नहीं,
और उन लम्हों को भुलाया जा सकता नहीं।
और उन लम्हों को भुलाया जा सकता नहीं।
कमबख्त प्यार हम ने किया था,
आप से तो किया जा सकता नहीं।"
आप से तो किया जा सकता नहीं।"
"अंकित जैन"
तेरे इन जज्बातो के ही दीवाने है मेरे बेबडे दोस्त
ReplyDeleteबरना होस बालो को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है
प्रसम अभय
"गलती ना ही जज्बातों की है,
ReplyDeleteऔर ना ही दीबानो की है,
बो तो कुछ मेरे लब्ज़,
उनके रूह को छू गए,
बस इतनी सी मेहरबानी है....!"
- अंकित जैन
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ReplyDeleteलब्जो को अपने, किसी की रूह तक पहुचाना...
ReplyDeleteये किसी कत्लेआम से कम नही है ।
जनाब यह तो आपका ही सराहनीय हुनर है.....
हर किसी के बस का काम नही है ।।
- हार्दिक जैन
"ये उबड़ खाबड़ राहों पे,चलते चलते ठोकर हैं खाना।
Deleteइस धरती पे ,इस अम्बर पे,इस जहां पे आपका हैं आना।
आपको देख कर लोगो के चहेरे पे मुस्कुराहट हैं आना
और फिर जिंदगी भर दो ही लब्जो को हैं दुहराना।
कुछ आपके जज्बातों को,कुछ हमारे अल्फाज़ो को।
और अंत में जब आपको ये सब पसंद हैं आना
तो हमे तो जन्नत का हैं मिल जाना।
~अंकित जैन
कुछ अनकहे अल्फाजो ने,
ReplyDeleteरूह हिला दी....
शब्दो के इन मायाजाल ने ,
कयामत सी ला दी ।
बाते तो तेरी निराली पहले से ही थी,
पर ए मित्र....
अब तेरी शायरीयों ने भी,
आग लगा दी, आग लगा दी,
आग लगा दी ।।
Delete"मेँ नही कहता, पर मेरा बक्त जरूर कहेगा,
तेरे हर एक लब्ज को अपनी पूरी सिद्धत के साथ पडूंगा,
अगर कोई एक लब्ज दिल को छू गया,
तो कसम इस जहान को बनाने वाले की,
उसे पूरी दुनिया से मुकम्मल करूंगा.. ..!
~अंकित जैन