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____________में खुद एक अखबार हूँ।___________ में खुद एक अखाबार हूँ, छपने का में खुद एक इंतजार हूँ, रातो के ख्वाबो का,में खुद अपना एक यार हूँ, करता नही बात में दुसरो की,में खुद एक अखबार हूँ। दाम नही,कोई काम नही फिर एक नाम हूँ, बगुला कभी में बना नही,में खुद एक अपनी चाल हूँ। आँखों मे अश्क है,फिर भी जुनून के साथ हूँ, में डरु भी क्यों,जब बाबा के अपने साथ हूँ, अब क्लेश भी क्यों करू,जब में खुद एक अखबार हूँ। में क्या लिखूं,में क्या छपू,जब में खुद एक किताब हूँ, कहने को कुछ नहीं,फिर भी में रददियो का भाव हूँ, अब में खुद एक अखबार हूँ। -अंकित जैन