_____________खामोशी-ए-चेहरे_______________
अब कुछ मुकम्मल होने की चाह नही है,
पिला दिया है जाम-ए-मुहब्बत उसने।।
वो होली के रंग उड़ा दिए उसने,
हाथ भी छोड़ दिया राहो में कभी उसने।।
अब तुफानो का भी असर नही होता है,
रख ली है खामोशी-ए-चेहरे पे उसने।।
राजी था दोनो का बिछड़ना साथ,
राहे बदल ली अपनी किसी और के साथ उसने।।
~अंकित जैन
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