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वो मेरी कहानी है,इंतजार कब तक करायेगी तू। ख्वाबो तक ही रहेगी,हकीकत भी हो पायेगी तू।। उम्र कुछ बची है,सूरज देखूँ इसकी कोई खबर नही। नज़्म लिखे है,आज नही तो कल क्या सुन पायेगी तू।। मेरे घर की खिड़कियाँ भी,तड़फ रही है। हो सके तो वो,शामों के पलो को दोहरायेगी तू।। घर का है वो दिया जो, अब बुझ-बुझ जाता है। उसे भी इंतजार है,अपने आँचल से छुपायेगी तू।। अब तो वो अल्फाज भी,कड़वे से लगते है। आरजू है अपने हाथो से प्यार का जाम पिलायेगी तू।।                                                           - अंकित जैन