_______________एक बात_______________


मेरे घर के आंगन में कहा से
ये लपट सी आ गई
खिड़की की थी बो रोनक
ये धूप कहा से आ गई
जब सबकी बाते झूठी झूठी
क्यों समा है रूठी रूठी
फिर तुम हम से क्यों हो रूठी
जब सबकी बाते झूठी झूठी।।

                                                           "अंकित जैन"








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