______________🙏जायज़ हैं।🙏_______________




"आंखो में आंसुओ का आना जायज़ हैं,
  जब रूठ जाना अपनों का अपनों से ही हैं।
  बिन मौसम बारिश होना जायज़ हैं,
  जब साथ अपनों का ही नहीं हैं।
  समुंदर में पानी का खारा होना जायज़ हैं,
  जब बातो में मिठास ही नहीं हैं।
  कामो में हतास होना जायज़ हैैं,
  जब मन साफ ही किसी का नहीं हैं।
  सुनामी का आना जायज़ हैं,
  जब बाप-बेटे का मेल ही नहीं हैं।
  जुखना किसी को तो पड़ेगा,
  वरना रिश्तों में तकरार आना तो जायज़ हैं....!"


                                                          "अंकित जैन"

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