______________ अरमानों के साथ_____________




"काली घनघोर अंधेरी रात,
 बहती नदी छूटता अपनो का साथ,
 नई सुबह सूरज के साथ,
 चल दिया हूँ मंजिलो के पास,
 चलता है संसार दुआओं के साथ,
 आये है सब खाली हाथ,
 शब्दों का खेल अपनो के साथ,
 खेलता है यहाँ  हर एक इंसान,
 पंछियो का गीत,रातो की बहार,
 यही तो है यहाँ का रीति रिबाज़,
 ये जहान चलता है जमानो के साथ,
 और हम चलते है अरमानो के साथ..!"


                                                            "अंकित जैन"

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