_____________मुकम्मल कर लूँगा______________


(स्र्झान--interest)


मैं अपने लिए जमीन से भी पानी निकाल लूँगा,
तुम्हे खबर भी नही होगी,में अपने अल्फाज़ बया कर लूँगा।।

में तुमसे दस्तक-ए-मदद भी नही लूँगा,
अपनी जीत हासिल-ए-खुद कर लूँगा।।

तुम बात करते हो ,उन बीते हुए साथ लम्हो की,
तेरी हर एक याद को अपना फाँसला बना लूँगा।।

गर तू कभी मुझ में एक बार स्र्झान दिखा दे,
तेरे हर एक लब्ज को मुकम्मल कर लूँगा।।


                                                       ~अंकित जैन

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