___________________होना__________________ "वो अंधेरी काली रात का होना,आँखों में नमी का होना साथ किसी की दुआओं का होना,और ठंडी हवाओं का होना। इसी बीच समुद्र का एक किनारा होना,जिसमे तेरा मेरा साथ होना तभी एक टूटता तारा होना,हमारा जिंदगी भर साथ होना ऐसी कुछ हमारी दुआयें होना,और फिर साथ तुम्हारे सुबह होना। जब ये सब कुछ एक सपना होना ,और तभी ऊपर वाले का हमारे अनुकूल होना..! " अंकित जैन "
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Showing posts from June, 2018
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_______________ सफर_______________ "कुछ था नहीं इस सफर में,बस निकला था सफर में, कुछ हबाओ का कुछ दुआओं के सहारे में, अभी तक तो सही निकल रहा था इन नजारों में, जब समोसा आया आंखो के इशारों में, बस बो बात भी ऐसी हुई अल्फाजों में, पेट भी भर गया इन नजारों में, फिर किसी मलिका का आना इस सफर में, मेल मिले जब दोनों के नयनों में, कुछ हो तो रहा था इस सफर में, कुछ अल्फाजों से कुछ जज्बातों में..!" "अंकित जैन"
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______________😘 पिता दिवस😍______________ "पिता तुम्हारी अनुभूति को, मैने तिनका तिनका चूम लिया, अब कभी ना होंगे आंख मेंं आंशू, मैने बूंद बूंद जो पी लिया, तुम्हारे चरणों की धूल को मैंने, अपने माथे पे जो लगा लिया, अब कभी ना होऊंगा में नाकाम, आपने जीना जो सीख दिया....!" " Happy father's day" "अंकित जैन"
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____________💓 एक सपना💓 ___________ "वो अंधेरी काली रात का होना,आंखो में नमी का होना। साथ किसी की दुआओ का होना,और ठंडी हवाओं का होना। इसी बीच एक समुद्र का किनारा होना,जिसमे तेरा मेरा साथ होना। तभी एक टूटता तारा होना,हमारा जिंदगी भर साथ होना। ऐसी कुछ हमारी दुआए होना,और फिर साथ हमारे सुबह होना। जब ये सब कुछ एक सपना होना ,और तभी ऊपर वाले का हमारे अनुकूल होना..!" 🙏 धन्यवाद 👍 "अंकित जैन"
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_______________क्या फायदा________________ "कभी किसी के खिलौने के साथ खेलो, किसी के जज्बातो से खेलकर क्या फायदा। कभी बारिश की बूंदों के साथ खेलो, किसी की मजबूरी के साथ खेलकर क्या फायदा। कभी राहो में डालें पत्थरो के साथ खेलो, किसी की हार के साथ खेलकर क्या फायदा। कभी समुद्र की लहरों के साथ खेलो, किसी लाचार परिंदे के सााथ खेलकर क्या फायदा अरे अगर खेलना ही है तो प्यार से खेलो, ये बार बार जख्म देकर क्या फायदा ..!" " अंकित जैन"
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_______________😊पसंद🙃________________ "वो सूरज भी अपनी रोशनी से इस जहान को रोशन करता हैं, तो वो भी किसी को पसंद तो किसी को ना पसंद आती हैं। वो बारिश की बूंदे भी धरती-माँ को सुगंधित करती हैं, तो वो भी किसी को पसंद तो किसी को ना पसंद आती हैं। वो इंसान जो सच्चाई के मार्ग पे चला करता है, तो वो भी किसी को पसंद तो किसी को ना पसंद आ ती हैं। मै भी अपनी कलम से अपने जज्बातो को लिखता हूं, तो वो भी किसी को पसंद तो किसी को ना पसंद आती हैं....!" "अंकित जैन"
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______________🙏 जायज़ हैं। 🙏_______________ "आंखो में आंसुओ का आना जायज़ हैं, जब रूठ जाना अपनों का अपनों से ही हैं। बिन मौसम बारिश होना जायज़ हैं, जब साथ अपनों का ही नहीं हैं। समुंदर में पानी का खारा होना जायज़ हैं, जब बातो में मिठास ही नहीं हैं। कामो में हतास होना जायज़ हैैं, जब मन साफ ही किसी का नहीं हैं। सुनामी का आना जायज़ हैं, जब बाप-बेटे का मेल ही नहीं हैं। जुखना किसी को तो पड़ेगा, वरना रिश्तों में तकरार आना तो जायज़ हैं....!" "अंकित जैन"
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_______________👎 पैसा 👍_____________ " आज कल की जो थी यारी, पैसों पे ही टिकी थी सारी। जब बन नहीं रहा था कोई काम,तो पैसा कर रहा था वो काम। जिस के पास था पैसा,उससे बोला उधार तू देजा। बो भी बड़े प्यार से बोला,पास नहीं था मेरे पैसा। जिसके हाथ में नहीं था पैसा, तो कोई नहीं था उसका अपने जैसा। जिस दिन हाथ में आया पैसा,दुनिया बोली ये तो अपने जैसा..!" " अंकित जैन"
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_____________💑 बेपनाह मुहब्बत 💑_____________ "मन का होना,पर मन की बातो का ना होना। जिक्र तेरा होना,पर महसूस तेरा ना होना। यादों का तेरी होना,पर महफूज तेरा ना होना। रातों का मेरी होना,पर साथ तेरा ना होना। मुकम्मल मेरा होना,पर युक्त तेरा ना होना। मुश्किल में मेरा होना,फिर भी साथ तेरा ना होना। ये सब कुछ होना,फिर भी मुझे तेरे से बेपनाह मुहब्बत होना.!" "अंकित जैन"
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____________💙 मुझे याद हैं। 💙____________ "किसी को याद हो या ना हो..??? पर मुझे याद है,उसका पहली बार मुझ से मुकम्मल होना। मुझे याद है,उसका मेरे से अपने दिल के लफ्जो का जिक्र करना। मुझे याद है,उसका और मेरा रातो-रात गुफ्तगू करना। मुझे याद है,उसकी हर नादानी गलतियों को माफ करना। मुझे याद है,उसके सात बीते हुए हसीन पलो का गुजरना। मुझे याद है,उसके साथ भरी महफिलों में दिल्लगी का रंग जमाना। पर अब सिर्फ याद ही है,क्योंकि इतिहास गवाह है जनाब।" "सच्ची मुहब्बत रूह में पनाह नहीं देती है....!" "अंकित जैन"
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__________【 हो सकता नही】__________ "अब पानी का बहाव रुक सकता नहीं, यादों को तुम्हारी भुलाया जा सकता नहीं। अब सूर्यास्त हो सकता नहीं, जब तक मिला तुमसे जा सकता नहीं। कुछ बातो को नजरंदाज किया जा सकता नहीं, और उन लम्हों को भुलाया जा सकता नहीं । कमबख्त प्यार हम ने किया था, आप से तो किया जा सकता नहीं।" " अंकित जैन"